रोजाना मेल (न्यूज डेस्क): नगर निगम के चुनावों ने शहर में होने वाले कई निगम चुनावों का रिवाज बदल दिया। पहली बार ऐसा हुआ कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ज्यादातर दिग्गज नेता जो पार्टी बदल कर अन्य पार्टी में शामिल हुए वह हार गए। भाजपा ने जो प्रदर्शन किया वह सोच से भी परे है। उम्मीद नहीं थी कि जो भाजपा सात पर थी वह 19 सीट निकाल सकती है।
जालंधर शहर में 7,29,658 वोटर है लेकिन इस बार 3,64,342 वोट पड़े। आप को 39, कांग्रेस को 24, भाजपा को 18, आजाद उम्मीदवारों को 2 और बसपा को एक सीट मिली। आप का मेयर बनाने के लिए अब आम आदमी पार्टी को विपक्ष का वोट चाहिए। जिन उम्मीदवारों को मेयर या डिप्टी मेयर का पद लेने के लिए सोचा था वह सभी आप के उम्मीदवार हार गए। हलकों की बात करें तो जालंधर सेंट्रल में आप के विधायक रमन अरोड़ा है जिनके हल्के में आप को 9, कांग्रेस को 10 और भाजपा को चार सीटें मिली। जालंधर वेस्ट से आप के विधायक मोहिंदर भगत है जहां आप ने अच्छा प्रदर्शन किया और 10 सीटें ली लेकिन भाजपा ने उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन करते हुए 8 सीटें ली जबकि कांग्रेस चार पर ही सिमट गई। कांग्रेस के विधायक बावा हेनरी के हल्के में कांग्रेस 7 सीटें जीती। आप ने 11 तो भाजपा ने 5 सीट लीं। हालांकि नॉर्थ में हिंदू आबादी ज्यादा है जहां पर भाजपा की ज्यादा पकड़ थी लेकिन फिर भी भाजपा को कम सीटों से झोली भरनी पड़ी। जालंधर कैंट से कांग्रेस के परगट सिंह विधायक है जहां कांग्रेस को मात्र 4, आप को 8 तो भाजपा को 2 सीटें ही मिल पाई। इन चुनावों में 11.27 प्रतिशत वोट कम पड़ी। कारण यह सामने आया कि वार्डों में फेरबदल के कारण परेशान हुए वोटर बूथ पर नहीं पहुंच सके। नतीजा यह निकला कि पूर्व मेयर, उनकी पत्नी और पूर्व विधायक के भाई जैसे बड़े दिग्गज हार गए।